Welcome to Shri Ram Katha Vachak
आचार्य लक्ष्मण प्रसाद शास्त्री एक प्रतिष्ठित राम कथा वाचक, वैदिक प्रवक्ता, और समर्पित सनातन धर्म गुरु हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को रामकथा, वेद, पुराण, और सनातन जीवन मूल्यों से जोड़ना है। वर्षों से उन्होंने देशभर में धार्मिक प्रवचनों, कथाओं, हवन-पूजन, और संस्कारों के माध्यम से समाज को अध्यात्मिक दिशा देने का कार्य किया है। उनकी वाणी में श्रीराम की महिमा है, शैली में भावपूर्ण अनुभव और जीवन के हर पहलू को धर्म से जोड़ने की कला है। चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में उनकी प्रतिष्ठा एक गूढ़ ज्ञानी, सहज मार्गदर्शक और श्रद्धेय गुरु के रूप में है।
आचार्य लक्ष्मण प्रसाद शास्त्री जी द्वारा प्रस्तुत रामकथा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह आत्मा के शुद्धिकरण और मानव जीवन के उद्देश्य को समझने का माध्यम है। रामकथा के माध्यम से वे समाज को यह संदेश देते हैं कि श्रीराम केवल एक राजा नहीं, अपितु आदर्श पुरुष, मर्यादा पुरुषोत्तम, और सनातन धर्म के मूर्तरूप हैं। उनकी कथा में भावनात्मक संवाद, सुंदर काव्यात्मक शैली, और हर प्रसंग में जीवनोपयोगी शिक्षा समाहित होती है। बच्चे, युवा, वृद्ध – सभी को कथा से जुड़ाव का अनुभव होता है।
भगवान श्रीराम के अद्भुत भजन गायन के साथ 7 व 9 दिनों की मधुर कथा, जो उनके जन्म, विवाह, वनवास, सीता हरण और रावण वध तक की लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन करती है।
श्रीमद्भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर उनकी बाल लीलाओं, गोवर्धन पूजा, रासलीला और उद्धव संवाद तक का आध्यात्मिक रस भरा कथानक प्रस्तुत किया जाता है।
श्रीमद् भगवत गीता की दिव्य कथा जो की कुरुक्षेत्र की भूमि पर भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया दिव्य ज्ञान है, इसकी विस्तार से चर्चा की जायेगी,
भगवान शिव की दिव्य कथा जिसमें उनके विवाह, तांडव, नीलकंठ अवतार और भक्तों के प्रति करुणा का मनमोहक वर्णन होता है।
भजन, कीर्तन, प्रवचन और ध्यान से युक्त आयोजन जो मन को निर्मल और आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का मार्ग प्रदान करता है।
बालकों व युवाओं को वैदिक शिक्षा, श्लोक, मंत्र, ध्यान और नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने वाला विशेष शिविर।
यह अत्यंत आनंद और गर्व का विषय है कि हाल ही में विख्यात योगगुरु एवं पतंजलि आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य श्री बालकृष्ण जी और प्रख्यात रामकथा वाचक एवं वैदिक प्रवक्ता आचार्य श्री लक्ष्मण प्रसाद शास्त्री जी के मध्य एक अत्यंत भावपूर्ण और विचारशील शिष्टाचार मुलाकात संपन्न हुई। यह भेंट न केवल धार्मिक और वैदिक मूल्यों के आदान-प्रदान का अवसर बनी, बल्कि दोनों संतों ने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार, युवा पीढ़ी में वैदिक संस्कारों की जागरूकता और भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को पुनः जाग्रत करने पर गहन चर्चा की। इस शुभ अवसर पर योग, आयुर्वेद, वेद, रामकथा और सनातन जीवन पद्धति जैसे विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। आचार्य श्री बालकृष्ण जी ने शास्त्री जी के वैदिक ज्ञान और समाजसेवा के प्रति समर्पण की सराहना की, वहीं शास्त्री जी ने पतंजलि द्वारा भारतीय संस्कृति के संरक्षण में किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। यह मुलाकात भारत की आध्यात्मिक चेतना को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल रही, जो आने वाले समय में धर्म, योग और वेद के प्रचार में एक नई ऊर्जा का संचार करेगी।